सकारात्मक सोच :प्रभु का प्रेम ही स्थाई प्रेम
यह आलेख सकारात्मक सोच
प्रभु का प्रेम ही स्थाई प्रेम
जीवन में खुश रहने के लिए यह आवश्यक है कि हम स्थाई प्रेम से भरपूर रहे सदा सदा का प्रेम केवल प्रभु का प्रेम है जो दिव्य व आध्यात्मिक प्रेम है जब हम हम इस दुनिया में दूसरों से प्रेम करते हैं तो हम इंसान के बाहरी रूप पर ही केंद्रित होते हैं और हमें जोड़ने वाले आंतरिक प्रेम को भूल जाते हैं सच्चा प्रेम तो वह है जिसका अनुभव हम दिला दिलसेदिलतक और आत्मा से आत्मा तक करते हैं बाहरी रुप तो एक आवरण है जो इंसान के अंदर में मौजूद सच्चे प्रेम को ढक देता है ।
जब हम किसी इंसान के बारे में कहते हैं मैं तुमसे प्रेम करता हूं तो हम उस व्यक्ति के साथ रुप से प्रेम प्रकट कर रहे होते हैं बाहरी आवरण या हमारा शारीरिक रूप वह नहीं है जिससे हम वास्तव में प्रेम करते हैं वास्तव में हम उस व्यक्ति के सारे से प्रेम करते हैं जो आप उसके भीतर मौजूद है।
हम यह कैसे जान सकते हैं जीवन के दौरान इंसान में कितने सारे बदलाव आते हैं शुरू में उसका आकार एक नन्हे शिशु का होता है फिर वह बालक के रूप में स्कूल जाने वाला बच्चा बनता है किशोर से व्यस्क बनता है व्यस्क से 30 40 50 60 70 80 90 और 100 वर्ष की आयु को पार करता है हम किसी व्यक्ति से अपने जीवन की संपूर्ण अवधि के दौरान प्रेम कर सकते हैं चाहे उस व्यक्ति का बाहरी रूप लगातार बदल रहा होता है उसकी आयु लगातार बढ़ रही होती है आंसर में उस बाहरी आवरण के भीतर वह इंसान होता है जिससे हम प्रेम करते हैं रहस्य यह है कि हम उस व्यक्ति के साथ से प्रेम करते हैं हम उस व्यक्ति के मूल स्वरूप से प्रेम करते हैं और वह मूल आत्मिक स्वरुप स्वयं प्रेम ही है हमारे जीवन का उद्देश्य यही है कि हम अपने सच्चे आत्मिक स्वरुप का अनुभव कर पाए और फिर अपनी आत्मा का मिलाप उसके स्रोत परमात्मा में करवा दें इस उद्देश्य की प्राप्त करने में संत वह महापुरुष हमारी सहायता करते हैं गुरु के मार्गदर्शन में नियमित ध्यान अभ्यास करते हुए हमारी आत्मा आध्यात्मिक मार्ग पर प्रगति करती जाती है औरत परमात्मा में जाकर लीन हो जाती है आइए हम सभी अपने बाहरी शारीरिक रूप की ओर से ध्यान हटाए और अपने सच्चे आत्मिक स्वरुप का अनुभव करें तभी इस मानव काया में आने का हमारा लक्ष्य पूर्ण होगा और हम सदा सदा के लिए प्रभु में लीन होने के मार्ग पर अग्रसर हो पाएंगे।
मुझे उम्मीद है कि आपको यह सकारात्मक लेख पसंद है अंदर की आवाज़ें अनसुना ना करें ताकि आप प्रेरित हो जाएं और अपने जीवन में मुस्कुराते रहें
आने के लिए धन्यवाद !!।
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