anmol suvichar :-नया सोचने और करने में डर कैसा:-
यह आलेख सकारात्मक सोच
नया सोचने और करने में डर कैसा
"हमें कुछ नया करने से डरना नहीं चाहिए इससे आपके अनुभव के दायरे में विस्तार ही होगा यही व्यवहारिक समझ आगे चलकर आपको बेहतर बनाइए"
सिर्फ दवाइयां ही मनुष्य को सेहतमंद बनाएं नहीं रख सकती उन्हें भोजन आवास और रोजगार भी चाहिए यह कहना है हल्दी 5 नामक समाजसेवी संस्था के संस्थापक मानसिक भाट का वह अपनी संस्थान के जरिए समाज की इस मूल समस्या को दूर करने में जुटे हैं अपने इस कार्य से दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करते हुए हैं उन्होंने चिकित्सा सहायक पाने वाले 4000000 लोगों को समाज सेवा से जुड़ा है इसके लिए फॉक्स ने उन्हें अपनी 30030 सूची में जगह दी है इस आधुनिक युग में सोच का दायरा विस्तृत होने के बावजूद जब हम अपनी मौलिक दृष्टि से कट जाते हैं ऐसे में दूसरों की बेहतरी के लिए सोचने वाले मानिक दुनिया में मौलिक कार्य के लिए पहचाने गए हैं
कैसे हुए प्रेरित मानिक भाट एक कश्मीरी परिवार से हैं उनके माता पिता चिकित्सक थे परिवार ने कड़े संघर्ष के दिन देखे थे वह आगे चलकर परिवार के साथ कश्मीर से अमेरिका जाकर बस गए माता-पिता की देखरेख में मानिक ने चिकित्सक बनने का सपना देखा उन्हें जॉब हॉट किंग्स नाम के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में दाखिला भी मिल गया पर उन्हें पर कहां पता था कि उनके जीवन में एक नया मोड़ आने वाला है मानिक विश्वविद्यालय में पढ़ने के साथ-साथ छोटे-छोटे चिकित्सालय में भी जाया करते थे उन्होंने देखा कि चिकित्सालयों में आने वाले कई मरीज गरीब थे उन्होंने गौर किया कि यहां कई ऐसे लोग हैं जो सरकार द्वारा दी गई मूल सुविधाओं से वंचित हैं उन्हें इसे विशेष जानकारी भी नहीं थी मानिक ने इस दिशा में सोच कि क्यों ना ऐसा कुछ किया जाए जिससे शहर में रहने वाले गरीबों तक सभी मूल सुविधाओं को पहुंचाया जा सके माणिक समझते थे कि यह मूल सुविधाएं हैं उनका परिचय बेहतर स्वास्थ्य करा सकती है मानिक चाहते थे कि एक ऐसी संस्था का निर्माण किया जाए जो लोगों को अनुसूचित खानपान के दुष्प्रभावों से परिचित करा सके इसके लिए मानिक को लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना था इस उद्देश्य के लिए उन्होंने चिकित्सक बनने के सपने को भुला दिया उन्होंने हल्दी नामक एक संस्था बनाई जिसका मुख्य उद्देश्य वंचितों को उनकी जरूरतें पूरी करने में मदद करना था मानिकराव समाजसेवियों के साथ एक टीम बनाई इसके जरिए अकेले अमेरिका के टीचरों के वंचित को उनका हक दिला रहे हैं।
मुझे उम्मीद है कि आपको यह सकारात्मक लेख पसंद है,
आने के लिए धन्यवाद !!।
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