anmol suvichar :-नया सोचने और करने में डर कैसा

anmol suvichar :-नया सोचने और करने में डर कैसा:-


यह आलेख सकारात्मक सोच anmol suvichar :-नया सोचने और करने में डर कैसा  के बारे में है मेरे बारे में हमारे जीवन में सोच का बहुत महत्व होता है। जब हमारी सोच सही होती है या जब हम सकारात्मक सोचते हैं तो हमारे सभी काम भी सही तरीके से पूरे हो जाता है। जे व्यक्ति की सोच, सकारात्मक (पॉज़िटिव) सोच। जीवन, यह एक हमेशा चलते रहना चाहते हैं, सकारात्मक सोच आपको और अधिक खुशी, शांति, प्यार, सफलता और कई अन्य लोगों को अपना आत्मविश्वास, आत्म-सम्मान, साहस, आप डर से मुक्त महसूस करते हैं जो आप वर्तमान में सामना करते हैं। या आप अपने जीवन में कुछ भी करना चाहते हैं लेकिन आप किसी स्थान पर फंस गए हैं तो सकारात्मक ऊर्जा आपको इससे बाहर निकलने में मदद करती है हिंदी में सकारात्मक सोच से कई अलग-अलग लाभ इसलिए सकारात्मक रहें और अपने जीवन में आगे बढ़ें इस प्रकार के लेख आपको आपकी मदद करते हैं जीवन जहां ढेर सारी खुशियों के बीच में दुःख भी आते हैं। बहुत सारी खुशियों के बाद, दुःख भी उत्पना ही आता है और वह चक्कर फिर से चालू होता है|,anmol suvichar :-नया सोचने और करने में डर कैसा |"


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नया सोचने और करने में डर कैसा



"हमें कुछ नया करने से डरना नहीं चाहिए इससे आपके अनुभव के दायरे में विस्तार ही होगा यही व्यवहारिक समझ आगे चलकर आपको बेहतर बनाइए"

सिर्फ दवाइयां ही मनुष्य को सेहतमंद बनाएं नहीं रख सकती उन्हें भोजन आवास और रोजगार भी चाहिए यह कहना है हल्दी 5 नामक समाजसेवी संस्था के संस्थापक मानसिक भाट का वह अपनी संस्थान के जरिए समाज की इस मूल समस्या को दूर करने में जुटे हैं अपने इस कार्य से दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करते हुए हैं उन्होंने चिकित्सा सहायक पाने वाले 4000000 लोगों को समाज सेवा से जुड़ा है इसके लिए फॉक्स ने उन्हें अपनी 30030 सूची में जगह दी है इस आधुनिक युग में सोच का दायरा विस्तृत होने के बावजूद जब हम अपनी मौलिक दृष्टि से कट जाते हैं ऐसे में दूसरों की बेहतरी के लिए सोचने वाले मानिक दुनिया में मौलिक कार्य के लिए पहचाने गए हैं

कैसे हुए प्रेरित मानिक भाट एक कश्मीरी परिवार से हैं उनके माता पिता चिकित्सक थे परिवार ने कड़े संघर्ष के दिन देखे थे वह आगे चलकर परिवार के साथ कश्मीर से अमेरिका जाकर बस गए माता-पिता की देखरेख में मानिक ने चिकित्सक बनने का सपना देखा उन्हें जॉब हॉट किंग्स नाम के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में दाखिला भी मिल गया पर उन्हें पर कहां पता था कि उनके जीवन में एक नया मोड़ आने वाला है मानिक विश्वविद्यालय में पढ़ने के साथ-साथ छोटे-छोटे चिकित्सालय में भी जाया करते थे उन्होंने देखा कि चिकित्सालयों में आने वाले कई मरीज गरीब थे उन्होंने गौर किया कि यहां कई ऐसे लोग हैं जो सरकार द्वारा दी गई मूल सुविधाओं से वंचित हैं उन्हें इसे विशेष जानकारी भी नहीं थी मानिक ने इस दिशा में सोच कि क्यों ना ऐसा कुछ किया जाए जिससे शहर में रहने वाले गरीबों तक सभी मूल सुविधाओं को पहुंचाया जा सके माणिक समझते थे कि यह मूल सुविधाएं हैं उनका परिचय बेहतर स्वास्थ्य करा सकती है मानिक चाहते थे कि एक ऐसी संस्था का निर्माण किया जाए जो लोगों को अनुसूचित खानपान के दुष्प्रभावों से परिचित करा सके इसके लिए मानिक को लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना था इस उद्देश्य के लिए उन्होंने चिकित्सक बनने के सपने को भुला दिया उन्होंने हल्दी नामक एक संस्था बनाई जिसका मुख्य उद्देश्य वंचितों को उनकी जरूरतें पूरी करने में मदद करना था मानिकराव समाजसेवियों के साथ एक टीम बनाई इसके जरिए अकेले अमेरिका के टीचरों के वंचित को उनका हक दिला रहे हैं।


मुझे उम्मीद है कि आपको यह सकारात्मक लेख पसंद है,anmol suvichar :-नया सोचने और करने में डर कैसा  अंदर की आवाज़ें अनसुना ना करें ताकि आप प्रेरित हो जाएं और अपने जीवन में मुस्कुराते रहें
आने के लिए धन्यवाद !!।


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